Saturday, November 19, 2011

BHASHA

अपनी बात जब हम दूसरों तक पहुँचाना चाहते हैं तब हमें किसी न किसी भाषा की ज़रूरत होती है. हम अपनी बात लिखकर ,बोलकर या संकेतों के माध्यम से भी कह सकते हैं. संकेतों की भाषा का इस्तेमाल नाटकों में ही अधिक होता है. व्याकरण में हम उसी भाषा पर चर्चा करते हैं जिसे अक्षरों के माध्यम से लिखा जा सके और ध्वनि या आवाज़ के माध्यम से बोला सुना जा सके. 

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